🌑 कलयुग में नैतिक पतन और बुरी आदतों का बढ़ना – कारण और चेतावनी 🌑
“जब भोजन अपवित्र हो जाता है,
मन भ्रष्ट हो जाता है।
और जब मन भ्रष्ट हो जाता है —
तो संपूर्ण जीवन भटकाव बन जाता है।”
🔸 1. भ्रष्ट खान-पान — बर्बादी की पहली सीढ़ी
आज का मानव दिन की शुरुआत भी बिना विचार किए करता है —
क्या खा रहे हैं, कैसा खा रहे हैं, किसका खा रहे हैं – इसका कोई ध्यान नहीं।
❌ माँसाहार, शराब, बासी खाना, रासायनिक पेय — ये सब शरीर ही नहीं,
मन और बुद्धि को भी प्रदूषित कर रहे हैं।
"जैसा अन्न, वैसा मन" — यह कोई कहावत नहीं, एक शाश्वत सत्य है।
🔸 2. नशाखोरी – आत्मा की आग में जलता शरीर
धूम्रपान, शराब, तम्बाकू, और अन्य नशे
केवल शरीर को नहीं जलाते —
वे आत्मा के प्रकाश को भी धीरे-धीरे बुझा देते हैं।
जो आत्मा एक दिन प्रभु के चरणों में बैठ सकती थी,
वह अब नशे की धुंध में खुद को खो देती है।
🔸 3. विचारों की गंदगी – सोशल मीडिया से संस्कारों का क्षय
हम क्या देख रहे हैं, सुन रहे हैं, पढ़ रहे हैं — यही हमारे संस्कार बनते हैं।
आज का युवा घंटों स्क्रीन पर अपवित्र, असंस्कारी, उत्तेजक सामग्री देखता है,
और फिर आश्चर्य करता है कि मन अशांत क्यों है? सोच दूषित क्यों है?
“यदि तुम राम को देखोगे, तो मन राममय होगा।
यदि तुम काम को देखोगे, तो मन काममय ही बनेगा।”
🔸 4. संतों, शास्त्रों और परंपरा से दूरी
जब कोई व्यक्ति रामचरितमानस, गीता, वेद, संतों की वाणी से दूर होता है,
तो उसका मार्गदर्शन समाप्त हो जाता है।
फिर उसका जीवन अंधकार में नाव की तरह बहता रहता है — बिना दिशा, बिना लक्ष्य।
🔸 5. प्रभु से संबंध टूटता है, तभी पतन प्रारंभ होता है
भक्ति छोड़ देने के बाद ही मनुष्य भटकता है।
प्रभु से जुड़ा हुआ हृदय कभी पाप में नहीं फंसता।
लेकिन जैसे ही प्रार्थना, जप, कथा, सेवा छूटती है —
मन की चेन टूट जाती है और फिर विकार, नशा, और अपराध मन को जकड़ लेते हैं।
🛑 चेतावनी और समाधान
❗ अगर यही चलता रहा —
भ्रष्ट आहार, नशा, कामुक विचार और भक्ति से दूरी —
तो अगली पीढ़ी केवल असंवेदनशील रोबोट बनकर रह जाएगी।
✅ समाधान सिर्फ एक है:
भक्ति की लौ जलाओ, शुद्ध आहार लो, सत्संग में बैठो,
रामनाम का सहारा लो, और जीवन को प्रभु को समर्पित करो।
🌸 "बुरी आदतों से बचना है तो राम को पकड़ो,
और अगर समाज बचाना है,
तो हर घर में रामायण फिर से गूंजनी चाहिए!" 🌸
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