🌺 रामचरितमानस पाठ की 3 दिव्य विधियाँ – नवाह्न, परायण, और मनःस्पर्श 🌺
रामचरितमानस केवल एक ग्रंथ नहीं,
यह श्रीराम का साक्षात जीवनचरित्र है।
इसका पाठ भक्ति, शुद्धि और कृपा का द्वार खोलता है।
पाठ की तीन प्रमुख विधियाँ हैं – हर विधि का अपना एक दिव्य प्रभाव है।
1️⃣ नवाह्न पारायण (9 दिवसीय पाठ)
इसे "नव-दिन में सम्पूर्ण रामचरितमानस पाठ" भी कहा जाता है।
प्रत्येक दिन एक कांड पढ़ा जाता है, जिससे 9 दिनों में पूरा ग्रंथ पूर्ण होता है।
विशेष रूप से राम नवमी, चैत्र नवरात्रि, या पितृ पक्ष में किया जाता है।
यह विधि संकल्प, आहुति और नियमपूर्वक की जाती है।
लाभ: जीवन में रामकृपा, पितृ शांति, रोग–क्लेश नाश और घर में सुख–शांति।
2️⃣ मानस पारायण (लगातार पाठ विधि)
इसमें बिना रुके पूरे रामचरितमानस का पाठ किया जाता है – एक बार में या कुछ घंटों/दिनों में।
यह विधि एकाग्रता, श्रद्धा और समय मांगती है।
इसे परिवारिक संकट, रोग निवारण या किसी विशेष उद्देश्य के लिए किया जाता है।
पाठकर्ता और श्रोता दोनों के लिए यह अत्यंत शक्तिशाली अनुभव होता है।
लाभ: मानसिक स्थिरता, भक्तिरस की अनुभूति, और गहन आत्मशुद्धि।
3️⃣ मानस मंथन / मनःस्पर्शी पाठ (भावनात्मक चिंतन विधि)
इसमें रोज़ केवल कुछ चौपाइयों, दोहों या प्रसंगों का पाठ करके उसका गहराई से अर्थ और भावनात्मक चिंतन किया जाता है।
यह विधि मन को प्रभु के निकट लाने वाली होती है।
इसका उद्देश्य “जल्दी समाप्त करना” नहीं, बल्कि “हर शब्द को आत्मा से अनुभव करना” होता है।
लाभ: अंतरात्मा में राम बस जाते हैं, जीवन में समाधान और प्रेम का संचार होता है।
निष्कर्ष
तीनों विधियाँ – नवाह्न, पारायण और मानस मंथन –
अपने आप में श्रीराम तक पहुँचने के सुंदर रास्ते हैं।
जिसमें आपके समय, श्रद्धा और स्थिति के अनुसार
कोई भी विधि अपनाकर आप श्रीरामकृपा के अधिकारी बन सकते हैं।
“जहाँ मानस का पाठ होता है, वहाँ स्वयं हनुमान जी और प्रभु राम उपस्थित होते हैं।”
🌸 रामचरितमानस पढ़ें, रामजी को पायें।
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