🌿 श्रीराम और माता शबरी – प्रेम और प्रतीक्षा की अमर कथा 🌿
माता शबरी का नाम सुनते ही हृदय श्रद्धा से झुक जाता है।
वह न किसी बड़े वंश की थीं, न किसी ज्ञानी-ध्यानी कुल की।
वह थीं एक आदिवासी महिला, जिनके पास यदि कुछ था तो केवल निष्कलंक भक्ति और प्रेम।
लेकिन उनका यही प्रेम भगवान श्रीराम को खींच लाया उनके कुटिया तक।
यह कथा सिखाती है कि प्रभु के लिए वंश, वर्ण या स्थिति नहीं — केवल भक्ति ही मायने रखती है।
🔹 प्रतीक्षा का पर्व
शबरी जी को उनके गुरु मातंग ऋषि ने कहा था –
“तू प्रतीक्षा कर, एक दिन श्रीराम आएंगे। तेरा जीवन धन्य होगा।”
और उस दिन से शबरी ने वर्षों तक केवल प्रभु की प्रतीक्षा की।
हर दिन वह मीठे बेर तोड़तीं, एक-एक को चखतीं, और जो सबसे मीठे होते — उन्हें प्रभु के लिए रख देतीं।
यह उनकी भावना थी — 'मेरा राम केवल सबसे अच्छा पाए।'
🔹 जब श्रीराम आए…
अंततः जब श्रीराम वहाँ पहुंचे,
शबरी की वर्षों की प्रतीक्षा पूर्ण हुई।
वह कांपते हुए हाथों से अपने बेर प्रभु को देने लगीं —
और प्रभु श्रीराम ने उन्हें प्रेमपूर्वक स्वीकार किया।
भगवान ने जात-पात नहीं देखा, केवल भक्ति देखी।
यह दृश्य आज भी हमारी चेतना को झकझोर देता है —
कि सच्ची भक्ति में कोई भेद नहीं होता।
🔹 मोक्ष की प्राप्ति
माता शबरी ने अपने जीवन की अंतिम साँस तक केवल राम का नाम जपा।
जब उन्हें प्रभु ने दर्शन दिए,
तो उन्होंने शरीर त्यागकर प्रभु चरणों में स्थान पाया।
यह कथा हमें सिखाती है कि प्रतीक्षा, श्रद्धा, प्रेम और गुरु पर विश्वास — यही भक्ति का मार्ग है।
🎧 राजन जी महाराज की अमृतवाणी में यह कथा सुनना चाहते हैं?
👉 भाग 1 – श्रीराम और शबरी संवाद
👉 भाग 2 – भक्ति की परीक्षा
👉 भाग 3 – मोक्ष की प्राप्ति
📲 और रील्स देखें: @bablu_dwivedi418
🌸 यह कथा केवल कथा नहीं, एक आत्मिक अनुभव है 🌸
माता शबरी की भक्ति से प्रेरणा लें
और अपने जीवन में प्रभु की प्रतीक्षा को प्रेममय बनाएँ।