🌊 जब सांसारिक सुख मिलकर भी शांति नहीं देते

“सब कुछ मिल जाए — लेकिन मन न मिले,
तो वो सुख नहीं, एक और छलावा होता है।
शांति बाजार में नहीं, मंदिर की चौखट पर मिलती है।”


🔸 1. क्यों मिलकर भी अधूरा लगता है?

कई लोग कहते हैं —
"मेरे पास गाड़ी है, घर है, परिवार है, पैसा है…
फिर भी समझ नहीं आता कि दिल क्यों खाली है?"

👉 क्योंकि शांति “बाहरी वस्तुओं” से नहीं, “भीतर के संबंध” से आती है —
और वो संबंध सिर्फ ईश्वर से बनता है।


🔸 2. सुख और शांति में फ़र्क है

सुख क्षणिक है — खाना, घूमना, मोबाइल, पैसा…
लेकिन शांति तभी आती है जब
मन परमात्मा से जुड़ जाए।

"राम नाम की मिठास में जो तृप्ति है,
वो संसार की किसी चीज़ में नहीं।"


🔸 3. शांति खोती है, जब मन भटकता है

आज का मानव हर जगह दौड़ रहा है —
पर वहाँ नहीं दौड़ रहा जहाँ शांति है।

वह Netflix पर आराम खोजता है,
Reels में सुकून ढूँढता है,
दूसरों की ज़िंदगी देखकर अपनी कम आँकता है…

❗ और धीरे-धीरे वह अपनी आत्मा की आवाज़ को अनसुना कर देता है।


🔸 4. ईश्वर से संबंध जुड़ने पर शांति लौटती है

शांति चाहिए?
तो कुछ बातें आज से शुरू कीजिए:

"शांति तब आती है जब हम खुद को प्रभु को सौंप देते हैं।"


🔸 5. सच्चा सुख – जब हम भीतर से हल्के हो जाएं


🌼 "सुख बाहर से आता है — और चला भी जाता है,
लेकिन शांति भीतर से आती है — और प्रभु की कृपा से बस जाती है।"

🙏 भक्ति भावना यही सिखाती है —
ईश्वर के बिना सब कुछ होकर भी कुछ नहीं होता।
और ईश्वर के साथ कुछ न होकर भी सब कुछ मिल जाता है।


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